जैविक खेती के आधुनिक कृषि आयाम


आज हम बात करेंगे जैविक खेती की खासकर ऐसे किसानों के लिए जो जैविक खेती शुरू करने जा रहे हैं यानी आरंभ करने जा रहे हैं या जिन्होंने अभी हाल में एक 2 साल में जैविक खेती शुरू की है इसमें किसान भाइयों चार प्रमुख आयाम स्तंभ होते हैं

जैविक खेती के चार प्रमुख आयाम स्तंभ

  1. जैविक मानक (स्टैंडर्ड ऑर्गेनिक)
  2. प्रमाणीकरण 
  3. तकनीकी पैकेज (टेक्नोलॉजी पैकेज)
  4. विपणन (मार्केटिंग)

जैविक खेती में चार आयाम के बारेमे विस्तार से चर्चा करेंगे।

1) जैविक मानक (ऑर्गेनिक स्टैंडर्ड): 

भारत सरकार ने राष्ट्रीय जैविक खेती कार्यक्रम वर्ष 2001 में शुरू किया था और उसके तहत जो हमारे नेशनल स्टैंडर्ड से जैविक खेती के ऑर्गेनिक है हमारे स्थापित किए गए थे गए थे 2014 में इनको पेश किया गया और यह आजकल की वेबसाइट पर उपलब्ध है किसान भाइयों इस में एक किताब है अंग्रेजी में भी है और हिंदी में भी है जिसकी आप जानकारी apeda.gov.in पर ले सकते हैं

इस पुस्तक में लिखा गया है कि जैविक खेती में क्या करना है आपको और क्या नहीं करना क्या आप डाल सकते हैं जैविक खेती में और क्या आप नहीं डाल सकते साथ ही साथ रूपांतरण काल की भी इसमें जानकारी दी गई है काल का अर्थ होता है जब आप जैविक खेती करते हैं तो शुरू में आपकी जो जमीन है वह इस तरह से जैविक नहीं मानी जाती तो इसके लिए आपको ढाई से 3 साल का समय दिया जाता है जिसमें उसका कन्वर्जन होता है। उसका रूपांतरण होता है 3 साल बाद आपका जमीन जैविक मान लिया जाएगा।

जैविक मानक जानकारियां

  • फसल चक्र 
  • फसल विविधीकरण 
  • उर्वरक का उपयोग किस तरह करे 

ऊपर बताये गए जानकारिया का भी बताई जाती हैं। और उसमें क्या-क्या सावधानियां बरतनी है इनकी जानकारी लेना बहुत जरूरी है और यह अपेडा ने बनाए हैं इसको आप देख सकते हैं। और जो दूसरा आयाम है जैविक खेती का प्रमाणीकरण।

2) प्रमाणीकरण:

प्रमाणीकरण का जरूरत पड़ती है कि जिसे आप अपना माल बेचने जा रहे हैं क्या वह संतुष्ट है उसको साफ करेंगे उस को संतुष्ट करने के लिए कई उत्पादन हमारा जैविक है उसके लिए आपको एक प्रमाणपत्र की जरूरत होती है यह प्रमाण पत्र सबूत कोई प्रमाणीकरण की संस्था को देगी तो दो तरह का प्रमाणीकरण होता है एक तो अपेडा करता है जो हमारा वाणिज्य मंत्रालय है

उसका एक सरकारी अपना डिपार्टमेंट है और इसमें प्रमाणीकरण आए हैं। लगभग 29 संस्थाएं जो प्रमाणीकरण का कार्य करती हैं इस प्रकरण को थर्ड पार्टी पार्टी कहते हैं इसमें किसान है और जो तीसरी पार्टी है वह है आपकी उसकी लिस्ट प्रमाणीकरण संस्था की वेबसाइट(अपेडा) से ले सकते हैं राज्य के लिए अलग-अलग संस्थाएं होती हैं।

और प्रमाणीकरण करने का खर्च ज्यादा होता हैं। इसकी काफी महंगा होता है इसमें पटरी एकड़ रु.40000 से रु.50000 तक का खर्च आता है इसका फायदा भी है कि आप अगर प्रमाणीकरण करात हैं तो आपको इंडिया आर्गेनिक का लोगो मिल जाएगा। जिससे आप अपने पदार्थों को अपने जैविक उत्पाद हैं उसको दूसरे देशों में भेज सकते हैं।

इसी प्रकार जो हमारे नेशनल स्टैंडर्ड है इनकी दूसरे देश हैं उनमें भी इनको स्वीकार कर लिया गया नी मान लीजिए हम अमेरिका में हमारे किसान भाई अगर अपना एक्सपोर्ट करते हैं तो वहां पर अपना प्रोडक्ट आराम से ले बिक्री होती हैं। इसी तरह से अनेक देशों के जो आर्गेनिक स्टैंडर्ड हैं वो इंडिया में स्वीकार्य हैं। और जो तीसरा आयाम है जैविक खेती का तकनीकी पैकेज (टेक्नोलॉजी पैकेज)।

3) तकनीकी पैकेज (टेक्नोलॉजी पैकेज): 

तकनीकी पैकेज चाहे आप उत्पाद पैदा कर रहे या उसका प्रसंस्करण कर रहे हैं मानकों के आधार पर आपको उनका पैकेज प्रोडक्शन हैं वह आपको करना है।

उदाहरण के लिए अगर आप जैविक खेती कर रहे हैं और इसमें आप फसल विविधीकरण को अपना रहे हैं उसमें आपको ध्यान रखना पड़ेगा कि कौन-कौन सी फसलें कब लगानी है मिश्रित खेती करनी है आन्तर फसली खेती करनी है इनमे इसमें विवरण दिया गया है और इसके आधार पर आपको उत्पादन करना है।

साथ ही साथ आपको जैसे सबसे पहले ध्यान में रखना है कि मिट्टी का पीएच मान सुधारना है अगर हम पीएच मान सुधार लेते हैं तो पोषक तत्वों की उपलब्धता और जो फसलों की बढ़वार है वह अच्छी होती है।

पीएच अगर आमली आपका तो इसमें जैविक खेती में आप चुना डाल सकते हैं प्राकृतिक रूप से प्राप्त चूने को डाल सकते हैं इसी तरीके से अगर आपकी छारीय मृदा है एल्कलाइन है तो उसमें आप जिप्सम का प्रयोग करते हैं प्राकृतिक रूप से जो प्राप्त जिप्सम है उसका प्रयोग कर सकते हैं और मृदा के पीएच मान को सुधार सकते हैं।

साथ ही सारे पोषक तत्वों के उनका प्रयोग करें इसमें हरी खाद गोबर की खाद कंपोस्ट है वर्मी कंपोस्ट है साथ ही साथ इनका प्रयोग करके आप प्रबंधन कर सकते हैं जहां तक इस मौके चुनाव की बात है फसलों के चुनाव की बात है जो किसान भाई शुरुआत कर रहे हैं खेती की जैविक खेती की उनको कोशिश करनी चाहिए ऐसी फसलें की बीमारी कम आती है।

साथ ही साथ जिनकी पोषक तत्वों की रिक्वायरमेंट आवश्यकता कम हो और जिन फसलों को लंबे समय तक घर में भंडारित किया जा सके ऐसी फसलें माली जी आपने गोभी की फसल ली और दो-तीन दिन 4 दिन अगर गोभी की फसल की तो आपको दिक्कत आ सकती है और इसके लिए आप दालों का प्रयोग कर सकते दाल हुआ सकते हैं सोयाबीन उगा सकते हैं साथ ही साथ मसाले वाली जो मसालों की फसलें हैं वह भी काफी लाभकारी है यहां से आप शुरुआत कर सकते हैं।

साथ ही साथ जो दलहनी फसलें हैं उनका समावेश बहुत आवश्यक होता है इसी प्रकार बात करें कि अगर आप जैविक खेती लगातार करते जाते हैं तो इससे जी बढ़ती है मिट्टी के अंदर भी मिट्टी के बाहर भी ऐसा होने से उसमें कीड़े मकोड़े बीमारी स्वता ही काम आते हैं क्योंकि फसल हमारी मजबूत होती है उसको जो पोषक तत्व बैलेंस में मिलते हैं।

सही संतुलित मात्रा में मिलते हैं तो पौधे हमारे मजबूत रहते हैं फिर भी कोई बीमारी या कीड़ा आ सकता है तो उसका जैविक नियंत्रण कर सकते हैं और कुछ नहीं तो आप जो नीम का तेल है उसका प्रयोग कर सकते हैं या नीम सीट करना जो नीम का बीज होता है उसका अर्थ निकाल सकते हैं और कीड़े मकोड़ों का आप उससे नियंत्रण कर सकते हैं सारे साधन उपलब्ध हैं जिनकी मदद से जैविक खेती में आप मकोड़े और बीमारियों का नियंत्रण कर सकते हैं जैविक खेती में किसान भाइयों चौथा और अंतिम पड़ाव है वह विपणन (मार्केटिंग)।

4) विपणन (मार्केटिंग):

विपणन (मार्केटिंग) जैविक खेती के प्रमुख स्तंभ है। मार्केटिंग प्लान आपको आजकल मार्केटिंग कि आपने माल को बेचने की कला सीखनी पड़ेगी जैविक खेती का उत्पादन तो आजकल कुछ मॉल से शहरों में वहां आप संपर्क स्थापित कर सकते हैं जो हमारे केंद्रीय भंडार है जिसे दिल्ली में इस तरह के अगर बाजार बाजार की व्यवस्था है।

तो आप उनसे संपर्क कर सकते हैं सीधे आपको उनको अपना माल बेचना है जिससे कि जो मिडिल मैंने बीच के लोग हैं वह कम हो जाए साथ ही साथ आजकल बड़े बड़े होटल है जो आपके जैविक पदार्थों को स्वीकार करते हैं वहां पर जाकर संपर्क कर सकते हैं और अपने माल को बेच सकते हैं इसी तरीके से आजकल हमारे किसान भाइयों के बच्चे भी लिख रहे हैं वह कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं जिस पर तमाम तरह के आजकल एप्प चल रहे हैं।

जिसके जरिए हमारे नवयुवक हैं वह मार्केटिंग का कार्य कर सकते मार्केटिंग के लिए आप ऑनलाइन मार्केटिंग जो किसान भाइयों के बच्चे हैं किसान भाई करें तो उससे आपको ज्यादा लाभ मिलेगा साथ ही साथ किसान भाइयों शहरों में आजकल कुछ हाउसिंग सोसाइटीज होती हैं जहां पर जाकर आप संपर्क कर सकते हैं।

और सीधे अपना माल भेज सकते हैं इससे उपभोक्ताओं का भी लाभ होगा और साथ ही साथ आपको भी आप अपने पदार्थ के अच्छे दाम मिलेंगे साथ ही साथ किसान भाइयों आप किसी बड़े शहर में चार पांच किसान या आठ दस किसान मिलकर एक दुकान खोल सकते आउटलेट खोल सकते हैं जहां आप सीधे अपने पदार्थ को ऑर्गेनिक पदार्थ को चाहे वह कच्चा माल हो चाहे वह प्रोसेस हो उसको आप अपने आउटलेट से अपनी दुकान से भेज सकते हैं।

और इसमें हमें कोशिश करनी पड़ेगी कि हम अपने जो पदार्थ है उसको अच्छी तरह से भेज पाए उसे हमें लाभ अधिक मिलेगा इसी दिशा में और एक बात कहना चाहूंगा किसान भाइयों को जैविक खेती में मार्केट करते हैं एक तो हमारे उत्पाद का होता है साथ ही साथ मार्केटिंग आजकल जो इनपुट है हमारे उनकी भी मार्केटिंग होती है।

जैसे मान लीजिए आपको वर्मी कंपोस्ट खाद है वर्मी कंपोस्ट खेती में जरूरत पड़ती है तो इसमें हमारे ग्रामीण लग सकते हैं और जो वर्मी कंपोस्ट खाद का उत्पादन कर सकते हैं इसकी पैकिंग कर सकते हैं और इसको बाजार में बेच सकते हैं दूसरे किसानों को भेज सकते हैं

Modern Agriculture dimensions of Organic Farming
तो किसान भाइयों और बहनों अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जैविक खेती का क्षेत्र हमारे देश में लगातार बढ़ा है इसमें मुनाफा है इसमें आप की मिट्टी की स्वास्थ जो है बना रहता है पेड़-पौधों का स्वास्थ्य बनता है पर्यावरण का स्वास्थ्य बनता है।

और सबसे महत्वपूर्ण है कि अगर आप कोशिश करेंगे तो आपको इससे आमदनी अच्छी मिलेगी आपको इसके स्टैंडर्ड जानने पड़ेंगे ऑर्गेनिक खेती के जो मानक हैं उनको जानना पड़ेगा साथ ही साथ इसके अलावा प्रमाणीकरण जैसा मैं बता चुका हूं अपेडा करता है प्रमाणीकरण साथ ही साथ नेशनल सेंटर ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (PGS)पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम के जरिए प्रमाणीकरण होता हैं।

और सबसे बड़ी बात है निशुल्क है खेती केंद्र का प्रमाणीकरण है इसमें आपका कोई खर्चा नहीं होगा और आप अपने उत्पाद का उत्पादन कर सकते हैं मार्केटिंग कर सकते हैं बेच सकते हैं और आप जैविक खेती से अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं।