घर के बिस्तर और परिवार एक, दो और तीन बैलगाड़ी में संलग्न हैं। इस गाँव में पंद्रह दिन और दूसरे गाँव के गाँव में पंद्रह दिन। लोहे से रसोई बनाने के लिए किचन सिंक बनाने का काम करें। कुल्हाड़ी और धारियां भी बनाएं।
इस गांव को सौराष्ट्र में गदलिया कहा जाता है। इस परिवार के एक अग्रदूत मपाभाई भूरभाई का कहना है कि कृषि में प्लास्टिक की उम्र के बाद, हमारा व्यवसाय फल-फूल रहा है।
source: ramesh bhoraniya